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Saturday, September 22, 2018

फसल और उनका वर्गीकरण – Crop And Their Classification (Lekhpal & VDO Exam Special)

  • जीवन चक्र के अनुसार वर्गीकरण

    • एक वर्षी फसलें – ये फसलें अपना जीवन चक्र एक वर्ष या इससे कम समय में पूरा करती है जैसे – धान, गेहूॅ, जौ, चना, सोयाबीन
    • द्विवर्षी फसलें – ऐसे पौधे में पहले वर्ष उनमें वानस्‍पतिक वृद्धि होती है और दूसरे वर्ष उनक फूल और बीज बनते हैं वे अपना जीवन चक्र दो वर्ष में पूरा करते हैं जैसे – चुकन्‍दर और गन्‍ना आदि
    • बहुवर्षी फसलें – ऐसे पौधे अनेक वर्षों तक जीवित रहते हैं इनके जीवन चक्र में प्रतिवर्ष या एक वर्ष के अन्‍तराल पर फूल और फल आते हैं जैसे – लूसर्न, नेपियर घास
  • ऋतुओं के अधार पर वर्गीकरण

    • खरीफ की फसल – इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आद्रता तथा पकते समय शुष्‍क वातावरण की आवश्‍यता होती है उत्‍तर भारत में इसे जून-जुलाई में बोते हैं धान, बाजरा, मूॅंग, मूॅंगफली, गन्‍ना इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं
    • रबी की फसल – इन फसलों को बोआई के समय तापमान तथा पकते समय शुष्‍क और गर्म वातावरण की आवश्‍यकता होती है ये फसलें अक्‍टूबर-नवम्‍बर में महीनों में बोई जाती हैंं गेहॅू, जौ, चना, मसूर, सरसोंं इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं
    • जायद की फसल – येे फसलें मार्च-अप्रैल में बोई जाती है इस फसलें में तेज गर्मी और शुष्‍क हवाओं को सहन करने की अच्‍छी क्षमता होती है तरबूज, ककडी, खीरा, इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं
  • उपयोग के आधार पर वर्गीकरण

    • हरी खाद की फसलें – इसके लिए फलीदार फसलें अधिक उपयुक्‍त होती है जैसे – सनई, ढैंचा, मूॅग, आदि
    • भूमि संरक्षण फसलें – ये फसलें अत्‍यधिक वृद्धि के कारण भूमि को ढक लेती हैंं जिससे हवा तथा वर्षा से होने वाले कटाव से भूमि की रक्षा करती हैं जैसे – सोयाबीन, लोबिया, मूॅंग आदि
    • नकदी फसलें – ये धन कमाने वाली फसलों के नाम से जानी जाती हैं जैसे – गन्‍ना, आलू, तम्‍बाकू, सोयाबीन आदि
    • सूचक फसलें – यह फसलें जो पोषक पादार्थों की भूमि में कमी होने पर तुरन्‍त उनके ऊपर कमी के लक्षण प्रकट करने लगती है जैसे -मक्‍का

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