दरअसल स्टेशनों पर लिखी समुद्र तल से ऊॅॅचाई का आम जनता से काई मतलब नहीं है यह केवल ट्रेन के चालकों के लिए लिखी जाती है जैसा कि हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी गोल है और दुनियॉ में एक समान उंचाई नापनेे के लिए वैज्ञानिकों को ऐसे तल की जरूरत होती है जो एक समान रहे इसके लिए वैज्ञानिकों ने समुद्र को सबसे अच्छा माना क्योंकि समुद्र का पानी हमेशा एक समान रहता है अब मान लीजिए कि कोई ट्रेन 150 मीटर समुद्र तल से 200 मीटर समुद्र तल की ऊॅचाई पर जा रही है तो इस वोर्ड पर देखकर ड्राईवर अंदाजा लगा लेता है कि उसे ट्रेन के इंजन की स्पीड कितनी बढानी है ताकि ट्रेन और बिजली के तार आपस में संपर्क में रहें और कोई परेशानी ना हो यही कारण है कि रेलवे स्टेशनों पर समुद्र तल से ऊचाई लिखी जाती है।
दरअसल स्टेशनों पर लिखी समुद्र तल से ऊॅॅचाई का आम जनता से काई मतलब नहीं है यह केवल ट्रेन के चालकों के लिए लिखी जाती है जैसा कि हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी गोल है और दुनियॉ में एक समान उंचाई नापनेे के लिए वैज्ञानिकों को ऐसे तल की जरूरत होती है जो एक समान रहे इसके लिए वैज्ञानिकों ने समुद्र को सबसे अच्छा माना क्योंकि समुद्र का पानी हमेशा एक समान रहता है अब मान लीजिए कि कोई ट्रेन 150 मीटर समुद्र तल से 200 मीटर समुद्र तल की ऊॅचाई पर जा रही है तो इस वोर्ड पर देखकर ड्राईवर अंदाजा लगा लेता है कि उसे ट्रेन के इंजन की स्पीड कितनी बढानी है ताकि ट्रेन और बिजली के तार आपस में संपर्क में रहें और कोई परेशानी ना हो यही कारण है कि रेलवे स्टेशनों पर समुद्र तल से ऊचाई लिखी जाती है।
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