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Tuesday, December 4, 2018

मनोवैज्ञानिक पावलव( Ivan Pavlov) के अधिगम सम्बन्धी प्रतिक्रिया या अनुक्रिया सिद्धांत


दोस्तों आज महान मनोवैज्ञानिक पावलव( Ivan Pavlov) के अधिगम सम्बन्धी प्रतिक्रिया या अनुक्रिया सिद्धांत और अंतर्दृष्टि (सूझ) द्वारा सीखने का सिद्धान्त के पर चर्चा करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज के टॉपिक

पावलव के अधिगम सम्बन्धी प्रतिक्रिया या अनुक्रिया सिद्धांत

अधिगम के इस सिद्धान्त का प्रतिपादन रूसी मनोवैज्ञानिक आई पैवलव (I. Pavlov) ने किया। इन्होंने सबसे पहले उद्दीपन और अनुक्रिया के सम्बन्ध को अनुबन्ध द्वारा व्यक्त किया।

पावलव का प्रयोग – पैवलव ने पशुओं पर कई प्रयोग किये। इनका प्रसिद्ध प्रयोग कुत्ते पर किया गया। कुत्ते को एक निश्चित समय पर भोजन दिया जाता था। भोजन देखते ही उसकी लार टपकने लगती थी। कुछ दिनों के बाद भोजन देने से पहले घण्टी बजाई जाने लगी। उन्होंने स्वाभाविक उद्दीपन भोजन को घण्टी बजने के कृत्रिम उद्दीपन से जोड़ दिया, जिसके फलस्वरूप कुत्ता लार टपकाता था। इसके बाद उसने कुत्ते को भोजन न देकर केवल घण्टी बजाई। घण्टी की आवाज सुनते ही बिना भोजन देखे कुत्ते ने स्वाभाविक प्रतिक्रिया (लार बहना) की। इस प्रकार अस्वाभाविक या कृत्रिम उद्दीपन (घण्टी) के प्रति भी स्वाभाविक प्रतिक्रिया लार बहने में परस्पर सम्बन्ध स्थापित हो गया। ये सम्बद्ध प्रतिक्रिया कहलाती है।


  • भोजन (स्वाभाविक उद्दीपन) – लार निकलना (स्वाभाविक प्रतिक्रिया)
  • भोजन (स्वाभाविक उद्दीपन) + घण्टी की आवाज (कृत्रिम उद्दीपन) – लार निकलना (स्वाभाविक प्रतिक्रिया)
  • घण्टी की आवाज (कृत्रिम उद्दीपन) – लार निकलना (स्वाभाविक प्रतिक्रिया)


                                    सम्बद्ध प्रतिक्रिया सिद्धान्त का शिक्षा में महत्व

  1. यह सीखने की स्वाभाविक विधि है।
  2. इसकी सहायता से बुरी आदतों और भय सम्बन्धी रोगो का उपचार कर सकते हैं।
  3. इससे अच्छे आचरण व अनुशासन की भावना का विकास किया जा सकता है।
  4. अनुकूल कार्य करवाने में इस सिद्धान्त का प्रयोग करना चाहिये।
  5. यह सिद्धान्त बालको के सामाजीकरण करने व वातावरण से सांमजस्य स्थापित करवाने में सहायक।
  6. यह सिद्धान्त उन विषयों की शिक्षा में उपयोगी है जिनमें चिन्तन की आवश्यकता होती है। जैसे सुलेख, अक्षर विन्यास आदि।
  7. इस प्रकार सम्बद्ध-प्रतिक्रिया के सिद्धान्त को ध्यान में रखकर अध्यापक शिक्षण कार्य करें, तो अपने विषयगत कठिनाइयों को दूर कर सकेंंगे।

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