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Friday, September 21, 2018

भूगोल का अति महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान - Very Important General Knowledge Of Geography


हिकेटियस को भूगोल (Geography) का पिता कहा जाता है क्योंकि इन्होने ही अपनी पुस्तक जेस पीरियोडस के माध्यम से भौगोलिक दृष्टि कोण को क्रमबृध्द किया था । भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ग्रीक विद्वान इरेटोस्थनीज ने किया था। इन्होने सर्वप्रथम पृथ्वी की परिधि का सही – सही मान ज्ञात किया था। इन्होनें सर्वप्रथम विश्व का निवास योग्य मानचित्र भी बनाया था। इरेटोस्थनीज को भू- भौतिकी का जनक कहा जाता है। आईये जानते हैं भूगोल का अति महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान - Very Important General Knowledge of Geography


  • अरस्तू ने सर्वप्रथम पृथ्वी को गोल माना था तथा मार्टिन बैहम को सर्वप्रथम ग्लोब (Globe) निर्माता का श्रेय प्राप्त है।
  • पृथ्वी को न्यूटन ने सर्वप्रथम गोल सिध्द किया ।
  • अनेक्सीमेण्डर प्रथम व्यक्ति था, जिसने विश्व का मानचित्र (World map) माप कर बनाया था।
  • सूर्य सिद्धान्त (Sun Theory) में भूगोल (Geography) शब्द का प्रयोग किया गया था ।
  • आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गोलाकार माना और पृथ्वी की परिधि की लम्बाई भी इसकी वास्तविक लम्बाई के करीब बताई ।
  • चन्द्रग्रहण  (lunar eclipse) का वैज्ञानिक कारण भी सबसे पहले आर्यभट्ट ने बताया ।
  • भूगोल में तीन प्रकार की विचारधाराएँ आई जो निम्नलिखित हैं-
    1. निश्चयवाद (Determinism) – इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य प्रकृति के अधीन है। मनुष्य स्वतन्त्र नहीं है - समर्थक – रेटजेल, एलन, सैम्पुल
    2. सम्भववाद (Possibilism) – यह प्राकृतिक शक्तियों की अपेक्षा मानव शक्तियों की प्रधानता स्वीकार करने वाला दर्शन है। समर्थक – विडाल –डी- लाब्लाश, लुसियन फैब्रे
    3. नवनिश्चयवाद (New- Determinism) – यह ग्रिफिथ टेलर की संकल्पना से ही वर्तमान की सतत विकास की अवधारणा का विकास होता है।
  • ब्रह्माण्ड (universe) - ब्रह्माण्ड की उत्पति करीब 14 अरब वर्ष पूर्व हुई थी तथा हमारे ब्रह्माण्ड का कोई ओर छोर नहीं है यह निरन्तर फैलता जा रहा है।
  • ब्लैक होल (Black hole) - हमारी आकाशगंगा के केन्द्र में स्थित अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण (Extreme gravity) का वह क्षेत्र है, जो प्रकाश को अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर नहीं जाने देता है।
  • धूमकेतु (Comet) – घूमकेतु गैस व धूल से निर्मित ऐसे पिण्ड हैं जिसका एक भाग गोलाकर व लम्बी पूँछ सहित होता है। इन्हें प्रायः पुच्छल तारा भी कहते हैं इनमें सबसे मुख्य धूमकेतु हेली धूमकेतु है जो हर 76 वर्ष बाद देखाई देता है। पिछली बार हेली धूमकेतु 1986 में दिखाई दिया था । अब यह सन् 2062 में दिखाई देगा। धूमकेतु की खोज का श्रेय एडमण्ड हेयक ने की थी।
  • क्षूद्रग्रह (Asteroid) – मंगल ग्रह व बृहस्पति ग्रह के बीच में एक क्षूद्रग्रहो की श्रृंखला है बताया जाता है कि कोई ग्रह बनने से पहले की बिखर गया था तथा के छोटे – छोटे टूकड़े सूर्य की परिक्रमा करते हैं तथा मंगल व बृहस्पति के बीच इस हिस्से को क्षूद्रग्रह पेटिका कहते हैं। फोर वेस्टा एकमात्र ऐसा क्षूद्रग्रह है जिसे नंगी आखो से देखा जा सकता है।
  • निहारिका (Nebula) – ऐसे आकाशीय पिण्ड जों जो गैस व धूल से बने होते हैं साथ ही प्रकाशवान भी होते हैं निहारिका कहलाते हैं ।
  • उल्का पिण्ड (Meteorite) – उल्का पिण्ड क्षूद्रग्रहो के टूकड़े तथा धूमकेतुओ द्वारा छोड़े गए धूल के कण होते हैं यह कभी कभी पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश कर जाते हैं तथा वायुमण्डलीय घर्षण से इनमें आग लग जाती है तथा पृथ्वी पर पहुँच ने से ही पहले नष्ट हो जाते हैं लोग इन्हें टूटता तारा भी कहते हैं लेकिन कुछ उल्कापिण्ड बडे होने के कारण पृथ्वी की सहत पर गिर जाते हैं ।
  • तारामण्डल (Constellation) – तारो का समूह तारा मण्डल कहलाता है कुछ प्रमुख तारमण्डल के उदारण हैं – हाइड्रा , सप्तऋषि तारमण्डल, मृग आदि अभी तक 89 तारामण्डलों की पहचान की जा चुकी है तथा सबसे बड़ा ज्ञात तारामण्डल सेण्टाँरस है।
  • तारे (stars) - तारे जन्म गैसीय बादल से होता है तारों से अनवरत रुप से ऊर्जा का उतर्सन होता रहता है । हमारा सूर्य भी एक तारा है जो कि हाइड्रोजन तथा हीलियम गैसों से मिलकर बना है। हमारी पृथ्वी के सबसे करीबी तारा साइरस है जो कि सबसे अधिक चमकीला भी दिखाई देता है।
  • तारो को भी दो वर्गों मे विभाजित किया गया है –
    1. वामन तारा (Dwarf star) – यानि कि जिन तारो की चमक या प्रकाश सूर्य से कम है। वामन तारा कहलाता है।
    2. विशाल तारा (big star) – यानि कि जिन तारों की चमक या प्रकाश सूर्य से अधिक हैं विशाल तारा कहलाते हैं।
  • चन्द्रशेखर सीमा (Chandrasekhar limit)– यानि कि आकाशीय पिण्ड कोई पिण्ड या तारा जिसका द्रव्यमान 1.4Ms से अधिक हो तो उस तारे की सबसे ज्यादा बैल्क होल बनने की सम्भावना रहती है जब तारे में हाइड्रोजन समाप्त हो जाता है तो नोवा (nova) या सुपरनोवा (Supernova) तारे मे बदलकर विस्फोट हो जाता है तथा जिसे पल्सर (Pulsar) कहते हैं तथा फिर यह बैल्क होल में रुपान्तरित हो जायेगा। हमारा सूर्य भी लगभग 5 अरब वर्ष बाद इसी स्थिति में होगा।
  • नोवा (nova)– वहा तारा होता है जब उसकी चमक 10 से 20 मेग्निटुड तक बढ जाती है।
  • सुपरनोवा (Supernova)– जब तारे की चमक 20 मेग्निटुड से अधिक बढ़ जाती है।
  • युग्म तारे (Pair stars)– जो तारे आपस में गुरुत्वाकर्षण बल से बधे रहते हैं उन्हे युग्म तारे कहा जाता है। - साइग्रस X1
  • बहुलित तारे (Plural stars)– ये दो से अधिक तारों के निकाय हैं उदाहरण केस्टर 
कुछ अन्य तत्थ -
  • डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect) – डॉप्लर प्रभाव ब्रह्माण्ड के फैलाव को सिध्द कने वाला सिध्दान्त है। 
  • प्रकाश वर्ष (Light year) – इसको सुनकर अक्सर ऐसा प्रतीत होता है कि यह समय की माप है लेकिन यह दूरी माप है जिससे दूरस्थ ग्रह व तारों की दूरी मापी जाती है । - एक प्रकाश वर्ष आशय एक वर्ष में प्रकाश की गति से चली गई दूरी से है 
  • पारसैक (Parsek) – यह भी खगोलीय दूरी का मात्रक है यह प्रकाश वर्ष से भी बड़ी इकाई है – एक पारसैक 3.25 प्रकाश वर्ष के बराबर होता है।

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